विधानसभा सत्र- निशाने पर होगा जनसंपर्क विभाग और शिवराज की लाड़ली बहना योजना

 -प्रकाश कुमार सक्सेना

मध्यप्रदेश का विधानसभा सत्र आगामी 7 फरवरी से प्रारंभ होने वाला है और विपक्ष के मुख्य निशाने पर होगा जनसंपर्क विभाग। और साथ में निशाने पर होंगे गत विधानसभा चुनावों में उपयोग किये गये झूठ, झांसे और जुमले तथा इनपर किये गये खर्च।

शिवराज ने जिस तरह से चुनाव जीतने और मोदीजी के मुकाबले अपना चेहरा ज्यादा चमकाने के लिये विज्ञापनों, इवेन्ट्स आदि पर सरकारी धन खर्च किया है, लगता है इस बार विपक्ष विधानसभा में उन सबका हिसाब लेने को आतुर है। काश ये सब चुनावी माहौल के दौरान ही पूछा गया होता और जनता के सामने लाया जाता तो शायद परिणाम बदल सकते थे। लेकिन शायद अब काँग्रेस में बदलाव के साथ रणनीति भी बदली हो?

इस बार जनसंपर्क विभाग से पूछे जाने सवालों में प्रमुख हैं -

शासकीय योजनाओं में प्रचार-प्रसार, सम्मेलनों के आयोजनों पर खर्च।

संचालित योजनाओं के प्रचार-प्रसार, संबंधित आयोजनों की व्यवस्था, भोजन, आवास वाहनों पर हुआ खर्च।

लाड़ली बहना योजना के प्रिन्ट मीडिया आउटडोर ब्राण्डिंग और आचार संहिता के दौरान दाहोद, उज्जैन, रानी कमलापति पर ट्रेनों में लाड़ली बहना के चलने वाले विज्ञापनों पर हुए खर्च की जानकारी।

जनसम्पर्क विभाग द्वारा विभिन्न योजनाओं के प्रचार-प्रसार के ऐसे आयोजन जिन पर पाँच लाख से अधिक खर्च हुआ हो। विज्ञापनों व अनुदानों से उपकृत होने वाली संस्थाओं की जानकारी।

दो लाख रुपयों से अधिक के विज्ञापन अथवा अनुदान पाने वाली संस्थाओं व एजेंसियों की जानकारी।

विज्ञापन, प्रचार-प्रसार, ऑडियो-वीडियो द्वारा प्रचार में खर्च राशि। होर्डिंग्स व उनकी वास्तविक संख्या और उसके सत्यापन के संबंध में जानकारी।

और सबसे अहम वो दस्तावेज व विज्ञापन हैं जिनमें लाड़ली बहना योजना के अन्तर्गत दी जाने वाली राशि को बढ़ाकर 3000 रुपये करने की घोषणा है, मांगे गये हैं। सवालों को देखकर लगता है कि विपक्ष और उसके विधायक वो सारे झूठ, जुमले और झांसों की पोल खोलने पर आमादा है जिनके सहारे शिवराज सरकार ने जनता को झांसा देकर बहुमत हासिल किया है?

विपक्ष शिवराज के सहारे मोहन सरकार को घेरने की रणनीति बनाते हुए दिखाई दे रही है जिससे वह उन घोषणाओं को लागू करवाने के लिये दबाव बना सके। और उस ओर हाईकमान व मोहन सरकार के निशाने पर शिवराज, उनके खास लोग व अफसर हैं जिनके कारण सरकार पर ऐसी आर्थिक बदहाली के चलते घोषणाओं को पूरा करने का दबाव है और लोकसभा चुनाव सामने हैं। हाईकमान तो शिवराज पर मोदी के चेहरे को रोककर अपना चेहरा चमकाने से भी नाराज है। वो क्या कहानी है? पढ़ते रहिये इसी वेबसाइट पर आगे...

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