-प्रकाश कुमार सक्सेना
दोहा-
जोग लगन ग्रह बार तिथि सकल भए अनुकूल।
चर अरु अचर हर्षजुत राम जनम सुखमूल।।
अर्थ-
योग, लग्न, ग्रह, वार और तिथि सभी अनुकूल हो गए। जड़ और चेतन सब हर्ष से भर गए। क्योंकि श्रीराम का जन्म सुख का मूल है।
चौपाई-
नौमी तिथि मधुमास पुनीता। सुकल पच्छ अभिजित हरप्रीता।।
मध्य दिवस अति सीत न घामा। पावन काल लोक विश्रामा।।
अर्थ-
पवित्र चैत्र का महिना था, नवमी तिथि थी। शुक्ल पक्ष और भगवान का प्रिय अभिजित मुहूर्त था। दोपहर का समय था। न बहुत सर्दी थी। न धूप (गर्मी) थी। वह पवित्र समय सब लोकों को शान्ति देने वाला था।
ये दोहा और चौपाई तुलसीकृत राम चरित मानस से लिये गये हैं जो श्रीराम के जन्म के बारे में बताते हैं।
बस यही बात शंकराचार्य व कुछ साधु संत भी कह रहे हैं कि 17 अप्रैल को ही क्यों न प्राण प्रतिष्ठा की जाये जब प्रभु श्रीराम का जन्मदिन है? यानि श्रीराम नवमी है।
अब एक दूसरा पक्ष भी है। जो 22 जनवरी 2024 को दोपहर में 12 बजकर 29 मिनिट 8 सेकण्ड से 12 बजकर 30 मिनिट 32 सेकण्ड के मध्य होने वाले प्राण प्रतिष्ठा के कार्यक्रम के मुहूर्त को उचित बताते हैं। यह मात्र 84 सेकण्ड का मुहूर्त है इसमें अभिजीत मुहूर्त होगा। इस समय मेष लग्न होगी जिसमें गुरू होंगे। द्वितीय धन भाव में वृषभ का उच्च का चन्द्रमा होगा। नवम भाग्य स्थान में धनु राशि में मंगल, बुध व शुक्र होंगे व दशम स्थान में सूर्य होंगे।
कई शीर्षस्थ ज्योतिषियों का मानना है कि मेष लग्न व वृश्चिक नवांश वाले इस मुहूर्त को किसी विशेष उद्देश्य से ही चुना गया है। ये दोनों मंगल की राशि हैं व अग्नि तत्व राशि हैं। जिस तरह मानव शरीर में विभिन्न चक्रों को माना गया है उसी तरह अयोध्या में अखण्ड भारत का अग्नि चक्र आता है। और इस मुहूर्त में उसी को प्रज्ज्वलित किया जायेगा? प्रसिद्ध ज्योतिष श्री के.एन. राव की शिष्या सुश्री मनीषा आहूजा अपने यू ट्यूब के कार्यक्रम में इस बात को बताते हुए संभवतः इसी वर्ष पाक अधिकृत कश्मीर की भारत में विलय की भविष्यवाणी भी करती हैं।
तो क्या यह अखण्ड भारत अभियान के लिये चुना हुआ मुहूर्त है? यह तो अब भविष्य ही बतायेगा?
श्रीराम चरित्र और नैतिक बल प्रदान करने वाले हैं जो रामराज्य की परिकल्पना में सत्ता में भी दिखाई देना चाहिए। लेकिन नागरिकों को यह बात ध्यान में अवश्य रखना चाहिए कि उनको मजबूती उनके अधिकार देते हैं और उनकी सुरक्षा के लिये संविधान और संवैधानिक संस्थाओं की निष्पक्षता और मजबूती बहुत जरूरी है। इसलिए श्रीराम जन्मभूमि में श्रीराम की प्रतिमा की प्राण प्रतिष्ठा के साथ ही गणतंत्र दिवस को भी उतना ही महत्व देना जरूरी है। उसी उत्साह के साथ श्रीराम का नैतिक बल और संविधान दोनों को आत्मसात करें। इस संविधान में पूरा राम दरबार "रामराज्य" की परिकल्पना के साथ उपस्थित है।
जय सियाराम
जय गणतंत्र
जय भारत

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