कमलनाथ की भाजपा से सांठगांठ के आरोप? काँग्रेस में ही उठे सवाल?

 -प्रकाश कुमार सक्सेना

मध्यप्रदेश के विधानसभा चुनावों के परिणाम घोषित होने के पूर्व एक ओर जहां राहुल गाँधी काँग्रेस की 150 से अधिक सीटें आने का दावा कर रहे थे वहीं उनके बगल में पूर्व मंत्री कमलनाथ भी खड़े हुये थे। अब उन्हीं कमलनाथ पर काँग्रेस के अन्दर से ही भाजपा से सांठगांठ के आरोप लगने शुरू हो गये हैं।

चुनाव से लगभग एक-डेढ़ माह पहले पी.सी.सी. में बने वॉर रूम में पदाधिकारियों और उनके व्यवहार से अन्य कार्यकर्ताओं की बॉडी लेंग्वेज़ बदली-बदली नज़र आने लगी थी। पार्टी जो पूरे उत्साह से भरी पड़ी थी, ऐसा लगने लगा था कि पार्टी ने भाजपा के सामने हथियार डाल दिये हैं। और इसकी रिपोर्ट्स राहुल गाँधी तक भी पहुंच रही थीं। वैसे तो राहुल गाँधी 2018 के चुनाव से ही प्रदेश के वरिष्ठ नेताओं से खफा नज़र आ रहे थे। कमलनाथ उनके द्वारा की गई घोषणाओं को गंभीरता से नहीं ले रहे थे। अब तो यह बात भी उठने लगी है कि राहुल गाँधी के परम मित्र रहे ज्योतिरादित्य सिंधिया को भी कमलनाथ के कारण ही पार्टी छोड़नी पड़ी थी। चुनाव के दौरान ही इण्डिया गठबंधन द्वारा बहिष्कृत एक महिला पत्रकार को हवाई जहाज में इन्टरव्यू देना हो या इसी के घटक दल रहे समाजवादी पार्टी के नेता अखिलेश यादव के प्रति उनका व्यवहार? इन सबसे उनके खिलाफ शक पुख्ता होने लगा था।


कल इस शक का गुबार निकाला काँग्रेस के तेज तर्रार प्रवक्ता आलोक शर्मा ने। देश के प्रतिष्ठित यू ट्यूब चैनल "4 पी.एम." को दिये इन्टरव्यू में वो कहते हैं-"जिस तरह से हवाई जहाज में एक महिला पत्रकार को इन्टरव्यू दिया गया वह दुर्भाग्यपूर्ण था। पूरी की पूरी काँग्रेस ने उस पर ऑब्जेक्शन लिया था। और जिस व्यक्ति ने इन्टरव्यू दिया वह व्यक्ति... मुझे कोई ये कहने में कोई गुरेज नहीं है कि कहीं न कहीं कमलनाथजी के जितने 5-6 सालों के क्रिया कलाप रहे कहीं न कहीं ऐसा दिखता है कि कहीं पर ऐसा तो नहीं कि वो चाहते ही नहीं थे कि सरकार आये?......हमारे सीनियर लीडर्स की यह गलती है कि उस व्यक्ति को पहचाना नहीं...उस व्यक्ति को पहचाना जाना था। क्यों सरकार गिरी उसके ऊपर पूरी तरह से तन्मयता से उसका आकलन होना चाहिये था।

इसके अलावा भी बहुत सी बातें उन्होंने कहीं। जैसे एक आदिवासी पर मूत्र विसर्जन वाली घटना पर पूरे प्रदेश में प्रदर्शन की कार्यकर्ताओं की इच्छा को गंभीरता से न लेना, लोकसभा की 29 सीटों में से मात्र एक छिन्दवाड़ा सीट ही जीतना?, विधानसभा चुनावों में करारी हार के बावजूद छिन्दवाड़ा की सातों सीटों पर जीत? इन सवालों के बीच आलोक शर्मा ने कुछ अहम मुद्दों पर भी ध्यान दिलाया। मसलन कि ये ई.डी., इनकम टैक्स वाले बाकी सबके ठिकानों पर पहुंचते हैं लेकिन इनके घर क्यों नहीं पहुंचते? एक तरफ राहुल गाँधी खुलकर अदाणी-अम्बानी पर बोलते हैं लेकिन कमलनाथ उनके खिलाफ मुंह नहीं खोलते?

और यही वजह मानी जा रही है कि राहुल गाँधी जो मध्यप्रदेश के वरिष्ठ नेताओं से पहले से ही नाराज थे, अब किसी भी तरह बख्शने के मूड में नहीं थे। इसलिये प्रदेश काँग्रेस अध्यक्ष पद से कमलनाथ को हटाकर न केवल अध्यक्ष ही बदला बल्कि "पूरे घर के ही बदल डाले"।

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