"क्या मध्यप्रदेश में नव नियुक्त मुख्यमंत्री श्री मोहन यादव की सरकार स्थिर रह पायेगी? या बाकी के दिग्गज पार्टी नेता जो इस तरह मोहन यादव की नियुक्ति को पचा नहीं पा रहे हैं, वे अन्दर ही अन्दर कोई षडयन्त्र रचेंगे? जिस तरह से शिवराज को मुख्यमंत्री पद से हटाया गया है और अन्य दिग्गज नेताओं को इससे वंचित रखा गया, काफी लोगों में इस बात की आशंका है भी।"
कल 13 दिसम्बर 2023 को श्री मोहन यादव ने भोपाल में जब मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी तब कुम्भ लग्न उदित थी। वायु तत्व लेकिन स्थिर लग्न होने के कारण विद्वान ज्योतिष ने यह समय सुझाया होगा जो सरकार की स्थिरता की संभावना व्यक्त करता है। कुम्भ लग्न में शनि की उपस्थिति भी ठीक है। शनि व्ययेश भी है जो लग्न को थोड़ा भ्रमित कर सकता है लेकिन शनि की ही लग्न होने के कारण शनि यहां शुभ ही माना जा सकता है। सबसे अच्छी स्थिति भाग्य स्थान में स्थित स्वग्रही शुक्र की है जो सरकार को भाग्यशाली बनाता है। शुक्र धन लाभ के लिये भी श्रेष्ठ है। आय के भाव में पंचमेश बुध है जो अष्टमेश भी है। पंचमेश होने के कारण बुध योगकारक एवं शुभ है लेकिन कुछ असर अष्टमेश होने का भी पड़ सकता है। आय के भाव में चन्द्रमा यहां शनि की लग्न के कारण अशुभ है। चन्द्रमा यहां शत्रु भाव का स्वामी है जो आय में रुकावट पैदा कर सकता है।
सबसे महत्वपूर्ण दशम भाव में सूर्य मंगल की युति है। कुम्भ लग्न के लिये मंगल सम है तथा सूर्य मारक है। अतः ऐसा लगता है कि सूर्य के कारण ब्यूरोक्रेसी की तरफ से उलझनें आ सकती हैं। वहीं मंगल जो संगठन का प्रतिनिधि ग्रह है, के कारण संगठन व अफसरशाही के बीच टकराहट की खबरें भी सुनाई दे सकती हैं। इसी प्रकार गुरू योगकारक होने के बावजूद तृतीयस्थ होने से उतना सहयोगी नहीं होगा।
सावधानी रखने के लिये सबसे अधिक ध्यान द्वितीय भाव के राहू और अष्टम केतु की ओर देने की जरूरत है। द्वितीय भाव का राहू बड़बोलेपन अथवा वाणी को बिगाड़ सकता है। द्वितीय भाव भोजन का भी है अतः खाने की गति पर भी ध्यान रखना होगा। राहू बिगड़ने से बुध भी खराब होता है जो पंचम भाव अर्थात् प्रजा में साख का भाव भी है और अष्टमेश भी है। द्वितीय भाव का राहू धन में भी कमी ला सकता है जिससे सरकार की विभिन्न योजनाओं के लिये धन की कमी हो सकती है और उन्हें भविष्य में रोका जा सकता है।
और अंत में सबसे ज्यादा सावधानी अष्टम भाव में स्थित केतु से रखने की आवश्यकता है। राहू सर्प का मुंह है और केतु सर्प की पूंछ जो अष्टम यानि मृत्यु भाव में स्थित है। यह इशारा करता है कि सरकार के विरुद्ध अपनों में से ही कोई स्नेक बाइट मार सकता है। और स्नेक बाइट अर्थात् सर्पदंश मृत्यु अर्थात् सरकार के पतन का कारण बन सकता है। अक्टूबर के अन्त में ही केतु इस भाव में आया है और अभी लगभग सत्रह माह और रहेगा। यह समय अधिक सावधानी का है।
वैसे तो सब ठीक है बस सरकार को अपने बयानों और खर्चों पर नियंत्रण रखना चाहिये। अपने सहयोगियों की गतिविधियों पर नज़र रखना होगी। ब्यूरोक्रेसी पर लगाम लगाना होगा। सूर्य मंगल की युति कर्म भाव में होने से अति उत्साह व ऊर्जा से सरकार लबरेज रहेगी। कई दुस्साहसी कदम उठाये जा सकते हैं। नवम शुक्र बताता है कि इवेन्ट्स पर भी काफी धन खर्च होगा। अन्त में पुनः इस बात को दोहराया जा सकता है कि अपनों द्वारा रचे जा रहे षडयन्त्रों से सावधान रहना होगा।
नयी सरकार को शुभकामनाएं।



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