हिन्दी की चिन्दी बनाने का "शसक्त" माध्यम?

 -प्रकाश कुमार सक्सेना

मेरी इस स्टोरी की हैडिंग को पढ़कर आप चौंके नहीं और हिन्दी की खामी को लेकर यदि आपने मुझे कोसा नहीं तो माफ कीजिये, आप भी हिन्दी के कद्रदान नहीं हैं। खैर, "हिन्दी की चिन्दी" बनाना किसी को सीखना हो तो कोई म.प्र.माध्यम से सीखे। आज ही के प्रमुख समाचार पत्रों में प्रकाशित होने वाले विज्ञापन को ही लीजिये। इसके सबसे नीचे बॉटम में देखिये। आपको "शसक्त मध्यप्रदेश-समृद्ध मध्यप्रदेश" लिखा हुआ दिखाई देगा। सशक्त को शसक्त बनाया गया मध्यप्रदेश? वह भी तब जब देश के "यशस्वी" प्रधानमंत्रीजी का प्रदेश में आगमन होने जा रहा हो?


मध्यप्रदेश सरकार की छवि निखारने वाले जनसंपर्क विभाग की एक फर्म्स एण्ड सोसायटी से पंजीकृत संस्था है...म.प्र.माध्यम। जो सरकार की उपलब्धियों के प्रचार-प्रसार के लिये बनने वाले विज्ञापनों के आकल्पन के लिये बनाई गई थी। हालांकि बाद में वो सब काम भी करने लगी जिसके लिये इसे बनाया ही नहीं गया था।

यह विज्ञापन यहां इसलिये प्रकाशित नहीं किया जा रहा है कि यह इस वेबसाइट को मिला हो। यह इसलिये प्रकाशित किया जा रहा है कि यही इससे संबंधित खबर है। म.प्र. माध्यम कई पत्रकारों व अन्य की बिना किसी निविदा या बिना किसी एम्पैनलमेंट के स्क्रिप्ट रायटिंग के लिये सेवा लेता है। ऐसी स्क्रिप्ट रायटिंग के लिये पन्द्रह हजार रुपयों तक का भुगतान भी करता है। और उसके बाद भी हिन्दी की चिन्दी हो जाती है?

हिन्दी से याद आया कि प्रधानमंत्री मोदीजी 2015 में भी हिन्दी दिवस के उपलक्ष्य में भोपाल आ चुके हैं। तब सरकारी विज्ञापनों को लेकर सर्वोच्च न्यायालय ने गाइडलाइंस जारी की थीं, जिसके अनुसार तब प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति व चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया के अलावा किसी की भी फोटो सरकारी विज्ञापनों में प्रकाशित नहीं की जा सकती थी। अब यदि प्रदेश के मुख्यमंत्री की फोटो न छपे तो काहे का प्रचार? सो किसी ने युक्ति निकाली और उस समय किसी हिन्दी प्रेमी संघ के नाम से अखबारों में विज्ञापन प्रकाशित करवाये गये और अखबारों को लाखों के भुगतान भी हुए थे? इन विज्ञापनों में तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान की फोटो प्रकाशित हुई थीं और उनका अभिनन्दन किया गया था। यह आज भी रहस्य का विषय है कि उन विज्ञापनों का भुगतान किसने किया था? उस समय तक ई.डी., आयकर आदि इतने सक्रिय नहीं थे शायद? फिलहाल सशक्त से शसक्त होते मध्यप्रदेश की खूबसूरती का आनन्द लीजिये। और होने दीजिये हिन्दी की चिन्दी? क्योंकि इसके अलावा और कर भी क्या सकते हैं?

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