-प्रकाश कुमार सक्सेना
आज सुबह 7.34 पर मुख्यमंत्री श्री मोहन यादव के एक्स अकाउंट पर अमर शहीद चन्द्रशेखर आजाद जी के बलिदान दिवस पर उनको नमन करते हुए एक पोस्ट डाली गई। उस पोस्ट में बिना जम्मू कश्मीर के भारत का नक्शा भी पोस्ट हो गया। दुनिया को राष्ट्रवाद का ककहरा पढ़ाने वाली पार्टी की सरकार के मुखिया होने के नाते यह और भी गंभीर त्रुटि थी। एक हजार से ज्यादा लोगों द्वारा देखे जाने और पन्द्रह से अधिक लोगों द्वारा रिपोस्ट किये जाने के बाद त्रुटि का अहसास होने पर उसे डिलीट कर पुनः 8.16 पोस्ट डाली गई जिसमें से उस नक्शे को हटाकर चन्द्रशेखर आजादजी की तस्वीर डाली गई। (स्क्रीन शॉट सुरक्षित हैं)
पूरा जनसंपर्क विभाग कंपनियों के भरोसे चल रहा है। ऐसी संवैधानिक व तकनीकी जानकारियों को जानने वाले अधिकारी अब इक्का दुक्का रह गये हैं। दिल्ली की एक कंपनी पर मुख्यमंत्री के प्रमुख सचिव राघवेन्द्रसिंह जो पहले जनसंपर्क विभाग के प्रमुख सचिव व आयुक्त थे, एवं संचालक रहे आशुतोष प्रतापसिंह के कार्यकाल में इस कम्पनी को करोड़ों के कई काम बिना किसी टेण्डर प्रक्रिया के सौंपे गये। उनमें आउटसोर्सिंग का काम भी प्रमुख है। चीन्ह चीन्हकर अपनों या कई पत्रकारों व अधिकारियों के संबंधियों को इसमें रखा गया है। इतना ही नहीं, ये कंपनी अन्य कंपनियों को जनसंपर्क विभाग के विभिन्न कार्यों के लिये चयनित भी करती है। इस कंपनी के कुछ लोगों के खिलाफ विगत वर्ष सी.बी.आई. में प्रकरण भी दर्ज हो चुके हैं लेकिन सरकार की इन पर कृपा बरकरार है।
सोशल मीडिया का काफी बड़ा काम भी आउटसोर्स किया हुआ है। सूचना के अधिकार के अन्तर्गत प्रथम अपीलीय अधिकारी द्वारा आदेश दे दिये जाने के बाद भी अभी तक जानकारी अप्राप्त है। राघवेन्द्रसिंह शिवराज सरकार में उनके चहेते अधिकारी रहे हैं लेकिन विधानसभा चुनावों के लगभग छः-सात माह पहले सरकार की गिरती छवि के चलते उन्हें जनसंपर्क विभाग से हटा दिया गया था। मैं पूर्व से ही इस बात की आशंका जता रहा था कि मोहन सरकार की छवि ऐसे अधिकारियों की वजह से आउटसोर्स पर ही है और कब ये लोग उनकी भद्द पिटवा दें? कहा नहीं जा सकता। सूत्रों के अनुसार आउटसोर्स कंपनी जो यह कार्य कर रही है...एप इन्वेन्ट है। जिसे दिल्ली की ही कंपनी ने यह काम सौंपा है। देखना है सरकार और प्रदेश कब तक इन कंपनियों के भरोसे चलता है? और प्रदेश के युवा समानता के अधिकार से वंचित रहकर कब तक नौकरियों के लिये लाठी खाते रहेंगे? और हाँ, यह भी देखना है कि राष्ट्रवाद का यह काम भी क्या ऐसे ही ठेके पर...यानि आउटसोर्स पर ही चलेगा?
इन कंपनियों की दुकानदारियों के बारे में शीघ्र ही।


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