-प्रकाश कुमार सक्सेना
कन्या कुमारी की शिला पर ध्यानमग्न नरेन्द्र नये ज्ञानबोध के बाद भगवन नरेन्द्र हो गये। एकजुट पोल्स ने इस बात पर मुहर भी लगा दी। ध्यानमग्न स्वामीजी के कान में माँ कन्याकुमारी के फुसफुसाहट भरे कुछ शब्द गूँजे होंगे-"उठो वत्स! मानसून दो-चार दिन में ही यहां के तट पर दस्तक देने वाला है। तुम उठो और भारत में पड़ रही तीव्र हीटवेब पर चिन्तन बैठक करो।"
बस फिर क्या था? भगवन उठे और उन्होंने इस विषय पर बैठक का ऐलान कर दिया। आत्मज्ञान की प्राप्ति जो हो चुकी है। क्या चिन्तन होगा? क्या फैसले होंगे? पूर्वानुभव के अनुसार क्या आपको लगता है कि हीटवेब का कारण क्लाइमेट चेंज हो सकता है? मुझे तो ऐसा नहीं लगता। इसका कारण बताया जा सकता है जनता की बढ़ती आय? तापमान नहीं बढ़ा है, लोगों की आय बढ़ी है। लोगों की जेब में नोटों से गर्मी बढ़ी है। और ये कुछ ज्यादा ही बढ़ गई है इसलिये हीटवेब चल रही है।
तो कुछ ही दिन में मानसून के प्रवेश के साथ ही क्या निर्णय लिये जा सकते हैं हीटवेब कम करने के लिये? जाहिर है गर्मी निकाली जायेगी? विपक्ष के नेताओं की? सत्ता से सवाल करने का दुस्साहस करने वालों की? अरे भई! वो तो वैसे भी निकाली जानी है, चुनाव के अंतिम चरण में दी गई धमकियां भी तो पूरी करनी है? सबसे पहले तो जनता को हीटवेब से राहत देना है। फिर इन चुनावों में खर्चा भी तो हुआ है। तो क्या फैसले हो सकते हैं। आमजन की जेबों की गर्मी निकालने के लिये? गर्मी के कारण बहुत उछल रहे थे...चाहे पेट्रोल दो सौ रुपये लीटर हो जाये, ...चाहे सिलेण्डर पाँच हजार का हो जाये? तो हो सकता है उसी दक्षिण से उठकर चलने वाला मानसून आकर आपको भीषण गर्मी से राहत दे, भगवन यानि सरकार भी तैयार हो रही है आपको हीटवेब से राहत देने के लिये अपनी मानसूनी बौछार लेकर। एकजुट पोल्स व सत्ता के ट्रोल्स! आप सभी को अग्रिम शुभकामनाएं। हम तो वैसे भी गेहूँ के साथ के घुन हैं, हर हाल में पीसे जाना हैं?
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